जब Russia और Ukraine भिड़े: जानिए इस युद्ध की कहानी

आजकल खबरों में रूस और यूक्रेन का युद्ध छाया हुआ है। ये जंग सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं है, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। चाहे वो तेल की कीमतें हों, खाने-पीने की चीजों की किल्लत हो, या फिर वैश्विक माहौल में तनाव, ये युद्ध हर किसी को किसी न किसी तरह प्रभावित कर रहा है। इस ब्लॉग में हम इस युद्ध की शुरुआत, इसके कारण, हाल के घटनाक्रम, और इसके नतीजों को 2500 शब्दों में आसान और बोलचाल की हिंदी में समझाने की कोशिश करेंगे। तो चलिए, शुरू करते हैं।
युद्ध की शुरुआत: कैसे शुरू हुआ ये बवाल?
रूस और यूक्रेन का झगड़ा कोई नया नहीं है। इन दोनों देशों का इतिहास पुराना है, और इनके बीच रिश्ते कभी बहुत अच्छे तो कभी बहुत खराब रहे हैं। लेकिन मौजूदा युद्ध की शुरुआत 24 फरवरी 2022 को हुई, जब रूस ने यूक्रेन पर फुल-स्केल सैन्य हमला बोल दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे "स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन" का नाम दिया, लेकिन दुनिया ने इसे एकतरफा हमला माना।
रूस का दावा था कि वो यूक्रेन के कुछ हिस्सों (खासकर डोनबास क्षेत्र) में रहने वाले रूसी मूल के लोगों को बचाने के लिए ये कदम उठा रहा है। साथ ही, पुतिन ने कहा कि यूक्रेन को नाटो (NATO) में शामिल होने से रोकना उनका मकसद है, क्योंकि रूस नहीं चाहता कि उसका पड़ोसी देश पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन का हिस्सा बने। दूसरी तरफ, यूक्रेन का कहना था कि वो एक स्वतंत्र देश है, और उसे अपने फैसले लेने का पूरा हक है।
पहले कुछ हफ्तों में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर हमला किया, जिसमें कीव (यूक्रेन की राजधानी) भी शामिल था। लेकिन यूक्रेन की सेना और वहां के लोगों ने जबरदस्त हिम्मत दिखाई। उन्होंने रूस को पीछे धकेलने में कामयाबी हासिल की, खासकर कीव के आसपास। इसके बाद युद्ध का रुख बदलता चला गया, और ये एक लंबी, खींची हुई जंग में तब्दील हो गया।
क्यों है ये युद्ध इतना जटिल?
इस युद्ध को समझने के लिए हमें कुछ बातों को गहराई से देखना होगा। पहली बात, रूस और यूक्रेन का इतिहास। दोनों देश पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे, जो 1991 में टूट गया। यूक्रेन ने अपनी आजादी हासिल की, लेकिन रूस हमेशा से यूक्रेन को अपने प्रभाव क्षेत्र में रखना चाहता था। खासकर, क्राइमिया, जो यूक्रेन का हिस्सा था, उसे रूस ने 2014 में अपने कब्जे में ले लिया। उस समय भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था, लेकिन इस बार का युद्ध उससे कहीं ज्यादा बड़ा और खतरनाक है।
दूसरी बात, नाटो का रोल। नाटो एक सैन्य गठबंधन है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, और कई यूरोपीय देश शामिल हैं। यूक्रेन इस गठबंधन में शामिल होना चाहता था, क्योंकि उसे लगता था कि इससे उसकी सुरक्षा बढ़ेगी। लेकिन रूस को ये बिल्कुल मंजूर नहीं था। रूस का मानना है कि नाटो का विस्तार उसके लिए खतरा है, क्योंकि इससे पश्चिमी देशों की सेनाएं रूस की सीमा के और करीब आ जाएंगी।
तीसरी बात, आर्थिक और सामरिक हित। यूक्रेन एक महत्वपूर्ण देश है, क्योंकि वहां से गैस और तेल की पाइपलाइनें गुजरती हैं, जो यूरोप को ऊर्जा सप्लाई करती हैं। इसके अलावा, यूक्रेन की जमीन बहुत उपजाऊ है, और ये अनाज का बड़ा उत्पादक है। रूस और पश्चिमी देश दोनों ही यूक्रेन पर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं।
हाल के घटनाक्रम: जंग का ताजा हाल
अब बात करते हैं हाल के कुछ बड़े घटनाक्रमों की, जो इस युद्ध को और रोचक और जटिल बना रहे हैं।
यूक्रेन का ड्रोन हमला
1 जून 2025 को यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जिसे "स्पाइडर वेब" नाम दिया गया। इस हमले में यूक्रेन ने रूस के कई एयरबेस को निशाना बनाया और 40 से ज्यादा विमानों को नष्ट कर दिया। इनमें रूस के कुछ खास स्ट्रैटेजिक बॉम्बर जैसे टीयू-95 और टीयू-22एम3 भी शामिल थे। इस हमले से रूस को करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। कुछ लोगों ने इसे रूस का "पर्ल हार्बर" कहा, क्योंकि ये हमला रूस के लिए एक बड़ा झटका था।
क्राइमियन ब्रिज पर हमला
3 जून 2025 को यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस (एसबीयू) ने क्राइमियन ब्रिज पर तीसरा हमला किया। इस बार ब्रिज के पानी के नीचे के सपोर्ट्स को निशाना बनाया गया, जिससे भारी नुकसान हुआ। ये ब्रिज रूस और क्राइमिया को जोड़ता है, और रूस के लिए ये सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यूक्रेन का कहना है कि वो इस ब्रिज को नष्ट करके रूस की सप्लाई लाइन को कमजोर करना चाहता है।
सूमी में रूसी हवाई हमला
हाल ही में रूस ने यूक्रेन के सूमी शहर पर हवाई हमला किया, जिसमें तीन आम नागरिकों की मौत हो गई। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इसे "बर्बर" हमला बताया और दुनिया से रूस पर और सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की। उनका कहना था कि रूस जानबूझकर आम लोगों को निशाना बना रहा है।
शांति वार्ता: कोई उम्मीद नहीं?
2 जून 2025 को रूस और यूक्रेन के बीच इस्तांबुल में शांति वार्ता का दूसरा दौर हुआ। लेकिन ये वार्ता सिर्फ एक घंटे चली और कोई बड़ा नतीजा नहीं निकला। दोनों देशों ने 1000-1000 युद्धबंदियों की अदला-बदली और 12,000 मृत सैनिकों के शवों को वापस करने पर सहमति जताई। लेकिन जब बात सीजफायर की आई, तो रूस ने यूक्रेन से क्राइमिया और चार अन्य क्षेत्र छोड़ने की मांग की, साथ ही यूक्रेन की सेना को सीमित करने की शर्त रखी। यूक्रेन ने इसे ठुकरा दिया और बिना शर्त सीजफायर की मांग की, जिसे रूस ने नकार दिया।
अन्य घटनाएँ
- रूस ने यूक्रेन के एक शहर पर रॉकेट हमले किए, जिसमें तीन लोग मारे गए।
- यूक्रेन ने क्राइमिया जा रही रूस की एक सैन्य मालगाड़ी को पटरी से उतार दिया।
- रूस में कुछ प्रो-क्रेमलिन ब्लॉगर्स ने और सख्त जवाबी कार्रवाई की मांग की है, जिसमें परमाणु हथियारों की धमकी भी शामिल है। हालांकि, ये अभी सिर्फ बयानबाजी है।
युद्ध का वैश्विक असर
इस युद्ध का असर सिर्फ रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं है। पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है। चलिए, कुछ बड़े असर देखते हैं:
1. आर्थिक असर
- तेल और गैस की कीमतें: रूस दुनिया का बड़ा तेल और गैस निर्यातक है। युद्ध की वजह से तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। भारत जैसे देश, जो रूस से सस्ता तेल खरीदते हैं, अब भी दबाव में हैं, क्योंकि वैश्विक बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है।
- अनाज की किल्लत: यूक्रेन और रूस दोनों ही गेहूं और अन्य अनाजों के बड़े निर्यातक हैं। युद्ध की वजह से सप्लाई चेन टूट गई, जिससे कई देशों में खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ गईं।
- महंगाई: पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ रही है, क्योंकि ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने से हर चीज महंगी हो रही है।
2. सामरिक असर
- नाटो का विस्तार: इस युद्ध ने नाटो को और मजबूत किया है। स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश, जो पहले तटस्थ रहते थे, अब नाटो में शामिल हो गए हैं।
- चीन की चिंता: चीन इस युद्ध को करीब से देख रहा है। अगर रूस हारता है, तो ये चीन के लिए भी एक सबक हो सकता है, खासकर ताइवान को लेकर।
- हथियारों की दौड़: इस युद्ध ने हथियारों की मांग बढ़ा दी है। पश्चिमी देश यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं, जबकि रूस भी अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा है।
3. मानवीय संकट
- लाखों यूक्रेनी लोग अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हुए हैं। यूरोप में शरणार्थियों की संख्या बढ़ रही है।
- युद्ध में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें आम नागरिक भी शामिल हैं।
- यूक्रेन के कई शहर तबाह हो चुके हैं, और वहां के लोगों का जीवन पूरी तरह बदल गया है।
भारत पर क्या असर
भारत इस युद्ध से सीधे तौर पर तो नहीं जुड़ा है, लेकिन इसका असर हम पर भी पड़ रहा है। कुछ खास बातें:
- तेल की कीमतें: भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है, लेकिन वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें बढ़ने से हमारी अर्थव्यवस्था पर दबाव है।
- रक्षा सौदे: भारत रूस से हथियार खरीदता है। युद्ध की वजह से रूस की सप्लाई लाइन प्रभावित हुई है, जिससे भारत को कुछ रक्षा सौदों में देरी हो रही है।
- विदेश नीति: भारत ने इस युद्ध में तटस्थ रुख अपनाया है। ना तो वो रूस के खिलाफ खुलकर बोला है, और ना ही यूक्रेन के खिलाफ। लेकिन पश्चिमी देश भारत पर दबाव डाल रहे हैं कि वो रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाए।
- छात्र और प्रवासी: युद्ध शुरू होने पर हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंस गए थे। भारत ने उन्हें निकालने के लिए बड़ा ऑपरेशन चलाया, लेकिन ये एक बड़ा सबक था कि युद्ध का असर कितना व्यापक हो सकता है।
भविष्य में क्या होगा
इस युद्ध का भविष्य अभी अनिश्चित है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए हैं। रूस चाहता है कि यूक्रेन उसकी शर्तें माने, जबकि यूक्रेन अपनी आजादी और संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़ रहा है। शांति वार्ता में अभी तक कोई बड़ा नतीजा नहीं निकला है, और ऐसा लगता है कि ये जंग अभी और लंबी चलेगी।
कुछ संभावनाएं जो सामने आ सकती हैं:
- सीजफायर: अगर दोनों पक्ष किसी छोटे समझौते पर राजी होते हैं, तो सीजफायर हो सकता है। लेकिन इसके लिए दोनों को अपनी मांगों में ढील देनी होगी।
- युद्ध का विस्तार: अगर नाटो या अन्य देश सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होते हैं, तो ये एक वैश्विक युद्ध में बदल सकता है। हालांकि, अभी ये संभावना कम है।
- आर्थिक दबाव: रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध बढ़ रहे हैं। अगर रूस की अर्थव्यवस्था और कमजोर होती है, तो उसे युद्ध रोकना पड़ सकता है।
आम लोगों के लिए क्या सबक
इस युद्ध से हमें कुछ सबक मिलते हैं। पहला, शांति कितनी कीमती है। दूसरा, वैश्विक माहौल में कोई भी देश अकेला नहीं है; एक देश में होने वाली घटना पूरी दुनिया को प्रभावित करती है। तीसरा, हमें अपनी ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा पर और ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके।
रूस-यूक्रेन युद्ध एक जटिल और दुखद कहानी है, जिसमें ना तो कोई पूरी तरह सही है, और ना ही कोई पूरी तरह गलत। लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों को हो रहा है, जो इस जंग में फंस गए हैं। हम सबकी यही उम्मीद है कि जल्दी ही कोई शांतिपूर्ण हल निकले, और ये युद्ध खत्म हो। लेकिन तब तक, हमें इस मसले को करीब से समझने की जरूरत है, क्योंकि इसका असर हम सब पर पड़ रहा है।