Pathalgaon के शनि मंदिर में शनि जयंती के उपलक्ष्य में लगा भव्य भंडारा , वर्षा होने के बाद भी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पत्थलगांव के शनि मंदिर में शनि जयंती के उपलक्ष में भव्य भंडारे का आयोजन किया गया । जिसमें समस्त भक्तजन पानी गिरने के बाद भी प्रसाद ग्रहण करने हेतु मंदिर प्रांगण में पहुंचे एवं शनिदेव की कृपा प्राप्त की । बच्चों से लेकर बूढ़ों के मन में श्रद्धा भाव की कोई कमी नहीं रही , सभी शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अपनी ओर से गिलहरी सेवा प्रदान कर पुण्य के भागी बने ।
शनि देव न्यायाधीश स्वरूप है ; जो कि प्रत्येक मानव को बिना किसी भेदभाव के उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं । अतः सदैव हमारे गुरुजन भी कहते हैं कि शनि देव से नहीं , अपने कर्मों से डरना चाहिए क्योंकि यदि आपके कर्म सही रहेंगे तो शनि देव आप पर कृपा ही बरसाएंगे । इसलिए सभी भक्तजन सदैव अपने कर्मों पर ध्यान रखते हुए शनिदेव को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं एवं शनि जयंती शनि भक्तों के लिए विशेष मानी गई है । अतः पत्थलगांव में भी शनि जयंती के उपलक्ष में हवन के पश्चात ब्राह्मण भोज करा कर भंडारा प्रारंभ किया गया।
सनातन धर्म में प्रथा ही कुछ इस प्रकार है कि ; यदि भक्ति मकान में घुस जाए तो वह मंदिर बन जाता है , किसी स्थान विशेष में भक्ति आ जाए तो वह तीर्थ बन जाता है , किसी जल स्रोत में भक्ति आ जाए तो वह गंगा बन जाती है , किसी मनुष्य में घुस जाए तो वह भक्त बन जाता है और यदि भक्ति भोजन में प्रवेश कर जाए तो वह प्रसाद बन जाता हैं । और इसी प्रसाद के माध्यम से भक्ति की पूर्णता होती है ।
सनातन धर्म की मान्यता कुछ इस प्रकार भी है कि यदि एक व्यक्ति केवल प्रसाद ग्रहण करता है तो भी उसके मन में भक्ति नमक अमृत प्रवाहित हो जाता है एवं वह धीरे-धीरे भक्ति पथ की और अग्रेषित होने लगता है । इस मान्यता के साक्षात उदाहरण स्वयं श्री नारद मुनि जी हैं जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण के प्रसाद को ग्रहण कर अनन्य भक्ति प्राप्त की ।