इजरायल-ईरान संघर्ष 2025: पूरी कहानी

दोस्तों, आज हम बात करेंगे इजरायल और ईरान के बीच चल रहे उस तनाव की, जो 2025 में दुनिया की सुर्खियों में छाया हुआ है। ये कोई नई कहानी नहीं है, बल्कि दशकों पुरानी दुश्मनी है, जो अब जाकर खुली जंग में बदल गई है। अगर तुम सोच रहे हो कि ये दोनों देश इतनी दूर हैं, फिर क्यों एक-दूसरे के पीछे पड़े हैं? तो चलो, इसकी पूरी कहानी शुरू से समझते हैं।
शुरुआत: ये दुश्मनी की जड़ कहाँ से आई?
इजरायल और ईरान, दोनों मिडिल ईस्ट में हैं, लेकिन इनके बीच की दूरी करीब 2300 किलोमीटर है। फिर भी, इनकी दुश्मनी इतनी गहरी है कि दोनों एक-दूसरे को देखते ही आग बबूला हो जाते हैं। इसकी शुरुआत 1979 की ईरानी क्रांति से मानी जाती है, जब ईरान में शाह की सत्ता उखड़ गई और अयातुल्ला खोमैनी के नेतृत्व में इस्लामिक गणराज्य बना। उस वक्त तक इजरायल और ईरान के रिश्ते ठीक-ठाक थे, लेकिन क्रांति के बाद सब बदल गया।
ईरान की नई सरकार ने इजरायल को अपना दुश्मन नंबर एक घोषित कर दिया। क्यों? क्योंकि ईरान का मानना था कि इजरायल, फिलिस्तीनी लोगों के साथ अन्याय करता है और मिडिल ईस्ट में अमेरिका का पिट्ठू बनकर उसकी नीतियों को बढ़ावा देता है। दूसरी तरफ, इजरायल को लगता है कि ईरान उसका विनाश करना चाहता है, खासकर क्योंकि ईरान हिज़्बुल्लाह जैसे संगठनों को सपोर्ट करता है, जो इजरायल के खिलाफ हमले करते रहते हैं।
1982 में लेबनान युद्ध के दौरान ये दुश्मनी और गहरी हो गई। ईरान ने लेबनानी शिया ग्रुप्स और फिलिस्तीनी संगठनों को हथियार और पैसे दिए, जो इजरायल के खिलाफ लड़ रहे थे। इजरायल को ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ। इसके बाद से दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ छद्म युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) लड़ते रहे, यानी सीधे तौर पर नहीं, बल्कि दूसरे देशों या संगठनों के जरिए। जैसे, सीरिया में ईरान ने असद सरकार का साथ दिया, तो इजरायल ने वहाँ ईरानी ठिकानों पर हमले किए।
परमाणु विवाद: आग में घी का काम
अब बात आती है उस मुद्दे की, जो इस जंग का सबसे बड़ा कारण बना—ईरान का परमाणु कार्यक्रम। इजरायल को शक है कि ईरान परमाणु बम बना रहा है, जिसे वो इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। ईरान कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ बिजली बनाने के लिए है, लेकिन इजरायल और पश्चिमी देशों को इस पर भरोसा नहीं।
2000 के दशक से इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर चुपके-चुपके हमले किए। जैसे, ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या, साइबर हमले (जैसे स्टक्सनेट वायरस), और ड्रोन अटैक। लेकिन ईरान रुका नहीं। उसने अपने परमाणु प्रोग्राम को और तेज कर दिया। 2015 में ईरान और पश्चिमी देशों के बीच न्यूक्लियर डील हुई थी, जिसे JCPOA कहा जाता है। इस डील के तहत ईरान ने अपने परमाणु प्रोग्राम को सीमित किया, लेकिन 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस डील से हाथ खींच लिया। इसके बाद ईरान ने फिर से यूरोनियम संवर्धन शुरू कर दिया।
इजरायल को ये डर सताने लगा कि अगर ईरान को न्यूक्लियर बम मिल गया, तो उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए, 2024-2025 तक आते-आते इजरायल ने ईरान के खिलाफ खुली जंग छेड़ने का फैसला कर लिया।
2024-2025: जंग का नया दौर शुरू
2024 में इजरायल-ईरान का तनाव चरम पर पहुँच गया। 1 अप्रैल को इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर बमबारी की, जिसमें कई सीनियर ईरानी अधिकारी मारे गए। ये हमला इतना बड़ा था कि ईरान चुप नहीं बैठा। 13 अप्रैल को ईरान ने पहली बार इजरायल की जमीन पर सीधा हमला किया। उसने 100 से ज्यादा मिसाइलें और ड्रोन तेल अवीव की ओर दागे। इजरायल ने अपने आयरन डोम डिफेंस सिस्टम से जड़े मुरा इन हमलों को नाकाम कर दिया, लेकिन ये साफ था कि अब जंग का नया चरण शुरू हो चुका है।
2025 में ये तनाव और बढ़ गया। जून 2025 तक दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइलों की बारिश कर रहे थे। इजरायल ने अपने ऑपरेशन को ‘राइजिंग लॉयन’ का नाम दिया, जिसका मकसद था ईरान के परमाणु ठिकानों, तेल रिफाइनरियों, और सैन्य अड्डों को तबाह करना। दूसरी तरफ, ईरान ने ‘ट्रू प्रॉमिस III’ के तहत इजरायल के तेल अवीव, हाइफा, और बीर शेवा जैसे शहरों पर 400 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे।
इजरायल ने ईरान के नतांज और फोर्डो जैसे परमाणु ठिकानों पर बड़े हमले किए। उसने दावा किया कि उसने ईरान की मिसाइल क्षमता को 60% तक कमजोर कर दिया। लेकिन ईरान भी पीछे नहीं हट रहा था। उसने इजरायल के सोरोका अस्पताल और तेल स्टॉक एक्सचेंज जैसे नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे इजरायल में भी भारी नुकसान हुआ।
दोनों देशों की ताकत और रणनीति
इजरायल की ताकत
- हाय टेक मिलिट्री: इजरायल की सेना दुनिया की सबसे आधुनिक सेनाओं में से एक है। उसके पास F-35 जैसे फाइटर जेट, ड्रोन, और आयरन डोम जैसे डिफेंस सिस्टम हैं।
- मोसाद का जादू: इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के अंदर कई गुप्त ऑपरेशन किए, जैसे ड्रोन तस्करी और साइबर हमले।
- अमेरिका का साथ: इजरायल को अमेरिका, ब्रिटेन, और फ्रांस जैसे देशों का पूरा समर्थन है। अमेरिका ने इजरायल को हथियार और डिफेंस सिस्टम दिए।
- रणनीति: इजरायल का फोकस है कि वो ईरान के परमाणु प्रोग्राम को पूरी तरह खत्म कर दे, ताकि भविष्य में कोई खतरा न रहे। वो इसके लिए सटीक और बड़े हमले कर रहा है।
ईरान की ताकत
- बैलिस्टिक मिसाइल्स: ईरान के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें जैसे ’फतह-1’ हैं, जो तेज और सटीक हैं। उसने इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागीं।
- प्रॉक्सी ग्रुप्स: ईरान हिजबुल्लाह, हूती विद्रोहियों, और इराक के शिया मिलिशिया को सपोर्ट करता है, जो इजरायल के खिलाफ लड़ते हैं।
- जज्बा: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने कहा कि वो किसी के सामने नहीं झुकेंगे, चाहे अमेरिका हो या इजरायल।
- रणनीति: ईरान की कोशिश है कि वो इजरायल को लंबी जंग में उलझाए और मिडिल ईस्ट में अपने प्रभाव को बढ़ाए। वो इसके लिए नागरिक ठिकानों पर भी हमले कर रहा है, ताकि इजरायल पर दबाव बढ़े।
दुनिया का रोल: कौन किसके साथ?
इस जंग में दुनिया भी बँटी हुई है। अमेरिका ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया, लेकिन वो सीधे जंग में कूदने से बच रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी कि अगर उसने अमेरिकी ठिकानों पर हमला किया, तो अंजाम भुगतना पड़ेगा। दूसरी तरफ, रूस और चीन ने इजरायल की निंदा की। रूस ने तो तीसरे विश्व युद्ध की आशंका तक जता दी।
मुस्लिम देशों में से सऊदी अरब और पाकिस्तान ने इजरायल के हमलों की निंदा की, लेकिन वो खुलकर ईरान का साथ नहीं दे रहे। जॉर्डन ने अपने एयरस्पेस को फिर से खोल दिया, लेकिन कहा कि वो किसी को भी युद्ध का मैदान नहीं बनने देगा।
भारत का रुख: बीच का रास्ता
भारत इस जंग में फँसना नहीं चाहता। भारत के इजरायल के साथ अच्छे रिश्ते हैं, खासकर रक्षा और टेक्नोलॉजी में। लेकिन ईरान भी भारत के लिए जरूरी है, क्योंकि वो तेल और गैस का बड़ा सप्लायर है। साथ ही, चाबहार पोर्ट जैसी परियोजनाएँ भारत के लिए अहम हैं।
भारत ने दोनों देशों से शांति की अपील की है। उसने ईरान से 110 भारतीय छात्रों को ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत सुरक्षित निकाला, जिसमें 90 कश्मीरी थे। इजरायल में भी भारत ने अपने नागरिकों को लैंड बॉर्डर के जरिए निकालने का प्लान बनाया। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारत के पास तेल और गैस की पर्याप्त सप्लाई है, तो चिंता की बात नहीं।
नुकसान का हिसाब: दोनों तरफ तबाही
2025 तक इस जंग ने दोनों देशों को भारी नुकसान पहुँचाया है।
- इजरायल: ईरान की मिसाइलों ने तेल अवीव, हाइफा, और रामत गान में 24 लोगों की जान ले ली, 804 लोग घायल हुए, और 18,766 अलग-अलग तरह के नुकसान हुए। सोरोका अस्पताल और तेल स्टॉक एक्सचेंज जैसे ठिकानों को नुकसान हुआ।
- ईरान: इजरायल के हमलों में 130 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें 9 न्यूक्लीअर वैज्ञानिक और कई टॉप कमांडर शामिल थे। तेल रिफाइनरी, गैस प्लांट्स, और परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान हुआ।
दुनिया पर क्या असर?
इस जंग का असर सिर्फ मिडिल ईस्ट तक सीमित नहीं है।
- तेल की कीमतें: ईरान ने धमकी दी कि अगर हमले नहीं रुके, तो वो होर्मस जलवायुबड़मध्या को बंद कर देगा, जो वैश्विक तेल का अहम रास्ता है। इससे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिसका असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है।
- तीसरे विश्व युद्ध का खतरा: रूस और चीन की चेतावनियों ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ा दी है। अगर अमेरिका खुलकर जंग में कूद गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था: भारत के शेयर बाजार पर भी असर पड़ रहा है। ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई और करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ सकता है।
अब क्या होगा?
अब सवाल ये है कि ये जंग कहाँ जाकर रुकेगी? इजरायल का कहना है कि वो ईरान के परमाणु प्रोग्राम को पूरी तरह खत्म करने तक नहीं रुकेगा। दूसरी तरफ, ईरान ने कहा कि वो तब तक लड़ेगा, जब तक उसे “क्षतिपूर्ति” नहीं मिल जाती।
कुछ लोग कह रहे हैं कि अगर अमेरिका और रूस जैसे बड़े देश बीच-बचाव करें, तो शांति की उम्मीद है। ट्रंप ने कहा कि वो दोनों देशों के बीच समझौता करवाना चाहते हैं। लेकिन, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने साफ कर दिया कि वो किसी के सामने नहीं झुकेंगे।
शांति की उम्मीद बाकी है?
दोस्तों, इजरायल और ईरान की ये जंग सिर्फ इन दो देशों की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की चिंता का सबब बन गई है। दोनों देशों की पुरानी दुश्मनी, परमाणु विवाद, और क्षेत्रीय राजनीति ने इसे इतना जटिल बना दिया कि इसका हल आसान नहीं दिखता। लेकिन इतिहास बताता है कि जंग से ज्यादा फायदा बातचीत से होता है।
भारत जैसे देश, जो दोनों के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं, शायद इस जंग को शांत करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दोनों देश अपने हठ को छोड़ें और बातचीत की टेबल पर आएँ। तब तक, हमें उम्मीद करनी है कि हालात और बिगड़े नहीं और मासूम लोगों की जानें बचें।
तो ये थी, इजरायल-ईरान संघर्ष की पूरी कहानी, 2025 तक की ताजा खबरों के साथ। अगर तुम्हें और कुछ जानना हो, तो बता देना, मैं और डीटेल्स दे दूँगा!