"ISRO का PSLV-C61 मिशन असफल क्यों हुआ? EOS-09 सैटेलाइट और भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा की पूरी कहानी"

नमस्ते दोस्तों! मैं आपका लेखक परवेज कौशार, और आशा करता हूँ कि आप सभी स्वस्थ और सतर्क होंगे।
आज हम बात करेंगे ISRO के PSLV-C61 मिशन की — जिसमें इसरो का अब तक का 101वां अभियान EOS-09 उपग्रह को लॉन्च करने में विफल रहा। यह मिशन सिर्फ एक तकनीकी घटना नहीं, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की प्रतिबद्धता, चुनौतियों और भविष्य के दृष्टिकोण का दर्पण है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं — एक मानव-केंद्रित और गहराई से विश्लेषणात्मक तरीके से।
परिचय:-
हर अंतरिक्ष यात्रा अपने साथ उम्मीदों और चुनौतियों की एक कहानी लेकर आती है। मैं, परवेज कौशार, यह ब्लॉग इसी उम्मीद के साथ लिख रहा हूँ कि हम एक तकनीकी घटना को सिर्फ खबर के रूप में न देखें, बल्कि इसे सीखने और समझने का एक अवसर मानें। आज जब PSLV-C61 का EOS-09 मिशन असफल हुआ, तब मेरा दिल गर्व तो करता है, लेकिन मन में खिंचाव भी है — क्योंकि यह असफलता केवल एक क्षणिक ठहराव है, अंत नहीं।
मिशन की रूपरेखा: EOS-09 और PSLV-C61:-
लॉन्च तारीख और समय: 18 मई 2025, सुबह 5:59 बजे, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से।
रॉकेट: PSLV-XL (63वीं PSLV उड़ान, 27वीं XL कॉन्फ़िगरेशन)
उपकरण (पेलोड): EOS-09 (RISAT-1B), C-बैंड SAR उपग्रह, जिसका वजन ~1696 kg था
उद्देश्य: सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में उच्च-रिज़ॉल्यूशन(दुर्लभ मौसम/रात/day-night) इमेजिंग प्रदान करना
PSLV – विश्वसनीयता में मिसाल, असफलता में दुर्लभ:-
PSLV को ISRO का “workhorse” कहा जाता है। इसकी 1993 से अब तक की यात्रा में केवल दो असफलताएं हुई थीं:
1993: PSLV-D1 में सॉफ़्टवेयर गड़बड़ी के कारण असफलता
2017: PSLV-C39 में पेलोड फेयरिंग न खुलने की वजह से नुकसान
यह तीसरी असफलता है — 64 में से 3, यानी 95%+ सफलता दर अभी भी मजबूत है।
मिशन में क्या हुआ? चरण-वार विवरण:-
पहला और दूसरा चरण (solid + liquid stages) बिल्कुल सफल रहे।
तीसरे चरण में रॉकेट में तकनीकी गड़बड़ी बनी — “चैंबर प्रेशर में अचानक गिरावट” महसूस हुई।
सूत्र बताते हैं कि flex nozzle में खराबी संभवतः इस गड़बड़ी का कारण रही, जिससे थ्रस्ट व अनुगमन失 हुआ।
इस गड़बड़ी के परिणामस्वरूप उपग्रह निर्धारित कक्षा में नहीं पहुँच पाया और मिशन अधूरा रह गया।
EOS-09 का महत्व – क्या खोया?
EOS-09 उच्च-रिज़ॉल्यूशन SAR के जरिये सीमा, आपदा, कृषि, शहरी नियोजन जैसे क्षेत्रों में अहम था।
यह इसरो की निगरानी उपग्रह श्रृंखला (52 उपग्रहों वाले नेटवर्क) में एक महत्वपूर्ण जोड़ था। प्रमाणीकरण से पता चला कि EOS-09 राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण था।
त्रुटि का गहराई से विश्लेषण:-
Initial संकेत बताते हैं कि flex nozzle यानी थ्रस्ट नियंत्रण इकाई में दोष था। इस हिस्से ने रॉकेट को संचालित व संरेखित करने में अहम भूमिका निभाई। टेक्निकल نقص ने trajectory में विचलन पैदा किया।
ISRO ने National Failure Analysis Committee गठित कर दी है, जिसमें वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के साथ IIT/IISc जैसे संस्थानों के सदस्य शामिल हैं। रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी जा चुकी है और PSLV की फ्लाइट तीन महीनों में फिर से शुरू किया जा सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव:-
EOS-09 की असफलता के चलते निगरानी नेटवर्क में अंतर आया है, खासकर सीमावर्ती और आतंक विरोधी ऑपरेशन्स में। यह घटनाक्रम ISRO की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार का संकेत देता है।
ISRO की प्रतिक्रिया और आगे की योजना:-
ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने भरोसा जताया कि समस्या अस्थाई है और जल्द ही सुधार किया जाएगा। ISRO की क्षमता उसी समय स्पष्ट हुई जब चंद्रयान-2, मंगलयान जैसी असफलताओं के बाद उसने मजबूत वापसी की थी।
अगले छह महीनों में EOS-09 का बैकअप लॉन्च और कई अन्य PSLV मिशन अपेक्षित हैं।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य:-
सफलता और असफलता अंतरिक्ष यात्रा की हिस्साएं हैं। NASA, ESA, और SpaceX के उदाहरणों से पता चलता है कि असफलताएं सीखने का मूल आधार भी होती हैं। ISRO ने हमेशा कठिनाइयों से उभरकर नए मुकाम हासिल किए हैं।
FAQ Corner — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:-
Q1. PSLV-C61 मिशन क्यों असफल हुआ?
A: तीसरे चरण में चैम्बर प्रेशर में गिरावट और संभावित flex nozzle खराबी का कारण बताया गया है।
Q2. EOS-09 उपग्रह का उपयोग क्या होना था?
A: यह C-बैंड SAR उपग्रह था, जो हर मौसम व रात-रात की निगरानी करने के लिए बनाया गया था, विशेषकर सीमा और आपदा प्रबंधन में।
Q3. ISRO आगे क्या कदम उठा रहा है?
A: National Failure Analysis Committee की रिपोर्ट पीएमओ को भेजी जा चुकी है और तीन महीनों में PSLV उड़ान फिर से शुरू हो सकती है।
Q4. PSLV की विश्वसनीयता पर क्या असर पड़ा है?
A: PSLV का विश्वसनीयता स्तर अब भी 95%+ है; यह तीसरी असफलता है लेकिन ISRO ने हमेशा सिखकर मजबूती बनाए रखी है।
Q5. यह असफलता ISRO को कहाँ पहुँचा सकता है?
A: यह असफलता ISRO को अधिक सावधानी, बूस्टर डिजाइन व नियंत्रण प्रोटोकॉल में सुधार के लिए प्रेरित करेगी।
निष्कर्ष — संघर्ष, सीख और आगे की उड़ान:-
PSLV-C61 का EOS-09 मिशन असफल जरूर रहा, लेकिन यह ISRO के जुनून, दृढता और सीखने की क्षमता की मिसाल है। असफलताएं असली अंत नहीं, बल्कि नए आरंभ हैं। जब चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सफल रहा था, तब हमने देखा कि भारत दूरियाँ पार कर सकता है।
मिशन भले ही अधूरा रहा, लेकिन हमारा विश्वास और ISRO की उड़ान अविरत है। हम यह जानकर प्रेरित होते हैं कि अगला कदम और भी बेहतर होगा — बेहतर तैयारी, बेहतर प्रबंधन, और बेहतर यूज़ की उम्मीद के साथ।